Friday, January 4, 2019

अयोध्या राम मंदिर पर SC की सुनवाई 10 जनवरी तक टली

सुप्रीम कोर्ट में मौजूद हमारे सहयोगी सुचित्र मोहंती के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, "10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश उपयुक्त बेंच देगी."

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के साल 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील की गईं हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ ज़मीन सुन्नी वक़्फ बोर्ड, र्निमोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बांटने का फ़ैसला दिया था.

प्रीम कोर्ट में इस मामले में इससे पहले सुनवाई 29 अक्टूबर को हुई थी और ये सुनवाई चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ़ के तीन जजों की पीठ ने किया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था.

कब-कब क्या हुआ?

अयोध्या विवाद भारत में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी थी.

भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद सहित कई हिंदू संगठनों का दावा है कि हिंदुओं के आराध्यदेव राम का जन्म ठीक वहीं हुआ जहां बाबरी मस्जिद थी. उनका दावा है कि बाबरी मस्जिद दरअसल, एक मंदिर को तोड़कर बनवाई गई थी.

बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद देश में दंगे भड़के और सर्वोच्च अदालत में मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की ज़ोर शोर से मांग उठाई गई.

विवादित ज़मीन के मालिकाना हक़ का ये मामला देश की अदालतों में 1949 से ही चला आ रहा है. हम आपको बताते हैं कि पूरा मामला कब शुरू हुआ और अब तक इस विवाद में समय का पहिया कैसे घूमा है.

1528: अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसे कुछ हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं.

1853: पहली बार इस स्थल के पास सांप्रदायिक दंगे हुए. समझा जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी, जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. अब कुछ हिंदू संगठन उस जगह पर राम मंदिर बनाना चाहते हैं.

1859: ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी.

1949: भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं. कथित रूप से कुछ हिंदूओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाई थीं. मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और दोनों पक्षों ने अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया. सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके यहां ताला लगा दिया.

बाबरी विध्वंस से भाजपा ने क्या खोया, क्या पाया?
1984: कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्म स्थल को "मुक्त" करने और वहां राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया. बाद में इस अभियान का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया.

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